नाक से खून बहने को आम बोलचाल की भाषा में नकसीर कहते हैं . आज हम आपको नकसीर का आयुर्वेदिक इलाज और घरेलू नुस्खे बतायेंगे जो आपके लिए उपयोगी सिद्ध होंगे . सामान्यतः नकसीर की समस्या 8 से 15 वर्ष तक के बच्चों में अधिक पायी जाती है . वयस्कों में यह समस्या कम होती है किन्तु यदि वयस्कों में यह समस्या दिखायी दे तो वह खतरनाक स्थिति हो सकती है .
नकसीर आने का कारण
नकसीर आने के कई कारण हो सकते हैं जिनमें सामान्यत निम्नलिखित होते हैं –
- धूप में बहुत देर तक रहने से .
- नाक को अंगुली द्वारा कुरेदने के कारण नाखून से चोट लग कर .
- हाई ब्लड प्रेशर वालों को भी नकसीर का ख़तरा रहता है . ( पढ़ें – हाई ब्लड प्रेशर में क्या नहीं खाना चाहिए ? )
- नाक में इन्फेक्शन होने के कारण .
- नाक में किसी प्रकार की गाँठ होने के कारण .
- अत्यधिक शारीरिक श्रम के कारण .
- शरीर में विटामिन्स की कमी के कारण .
- नाक में चोट लग जाने से .
- स्त्रियों में मासिक स्राव की अनियमितता के कारण .
- समुद्र तल से ऊंचाई वाले स्थानों पर .
- कुछ दवाइयों जैसे कि एस्प्रिन आदि के अधिक सेवन से .
- ब्लड में प्लेटलेट्स की कमी के कारण . ( अन्य पढ़ें – जोड़ों के दर्द का इलाज )
नकसीर का घरेलू इलाज
- यदि किसी व्यक्ति की नाक से अचानक खून बहना शुरू हो जाए तो तो उसे शांत और ठण्डे स्थान पर ले जाकर आराम से सांत्वना दें .
- रोगी की नाक को अंगूठे और तर्जनी अंगुली से दबाये और 5 मिनिट तक रोगी को मुंह से सांस लेने को कहें .
- रोगी की नाक और माथे पर ठण्डे पानी की पट्टियां लपेट दें .
- यदि अभी भी खून न रुक रहा हो तो कॉटन की गोली बनाकर ग्लिसरीन से भिगो कर नाक के अन्दर रख दें .
- रोगी को अपनी नाक में अंगुली डालने से मना करें .
- नकसीर के रोगियों को बादाम के तेल की मालिश से फायदा होता है .
- अंगूर का रस नाक में डालने से खून रुक जाता है .
- नीबू के रस की बूँद नाक में डालने से खून रुक जाता है .
- पीली मिटटी का गोला सूंघने से और नाक के आस पास पीली मिटटी का लेप करने से फायदा होता है .
- आंवला चूर्ण को बकरी के दूध में मिला कर सिर पर लेप करने से फायदा होता है .
- जिन्हें बार बार नकसीर की शिकायत होती है उन्हें एक सप्ताह तक दूध में केला मिला कर देने से लाभ होता है .
- यदि लू लगने के कारण नकसीर आई है तो कच्चा प्याज खाने से फायदा होता है .
- सरसों के तेल में पानी मिला कर सिर , हथेली और पैर के तलवों में मालिश करने से फायदा होता है .
- वासा ( अडूसा ) के पत्तों का रस 1-2 चम्मच दिन में दो तीन बार देने से लाभ होता है .
नकसीर का आयुर्वेदिक इलाज
नकसीर आयुर्वेद में वर्णित ‘ रक्त पित्त ‘ का एक भेद माना जाता है . रक्त प्रदर और रक्तार्श ( खूनी बवासीर ) के अलावा शरीर से खून का निकलना रक्तपित्त कहा गया है . नकसीर को आयुर्वेद में ऊर्ध्व रक्तपित्त में माना गया है . नकसीर या रक्तपित्त के उपचार हेतु आयुर्वेद में कई औषधियां वर्णित हैं जिनमें कुछ औषधियों का नीचे उल्लेख किया जा रहा है जो चिकित्सक की देख रेख में लिया जाना चाहिए – ( अन्य पढ़ें – दमा की आयुर्वेदिक दवा )
- बोलबद्ध रस
- कहरवा पिष्टी
- प्रवाल पिष्टी
- बोल पर्पटी
- सुवर्ण गैरिक भस्म
- मुक्ता पिष्टी
- उशीरासव
- चन्दनासव
- रक्तपित्तान्तक लौह
- चन्द्रकला रस
- उशीरादि चूर्ण
- नागकेसर चूर्ण
नकसीर के रोगियों के लिए सावधानियां
- तेज धूप व गर्मी में अधिक श्रम न करें .
- गर्मियों में दो बार नहायें .
- नाक में अंगुली न डालें .
- अधिक मसालेदार भोजन , मांस , मछली आदि से बचें .
- शराब व धूम्रपान से बचें .
- नाक के अन्दर के बालों को खींच कर उखाड़ने की कोशिश न करें .
- सिर पर बादाम , चमेली , नारियल आदि ठण्डे तेल की मालिश करें .
- नकसीर आ जाने पर झुक कर न बैठें , नाक को बंद कर मुंह से सांस लें .
- यदि बार बार समस्या हो रही है तो चिकित्सक से अवश्य परामर्श करें .
दोस्तों , आशा है हमारे आर्टिकल ‘ नकसीर का आयुर्वेदिक इलाज ‘ में मिली जानकारी आपको पसंद आई होगी . अगले लेख में अन्य उपयोगी जानकारी के साथ हाजिर होंगे .
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